साहब भक्ति में लीन साहब के आदेशों का पालन करते हुए कल सुबह साहब के कुत्ते के साथ सुबह की सैर पर निकला था कि सामने से भगवान आते दिखे पर मैंने कोई रीसपांस नहीं दिया। क्या करना उन्हें प्रणाम कह कर जब मेरे पास उनसे अधिक शक्तिशाली बंदा है। मैंने भगवान को प्रणाम नहीं किया तो बेचारों ने खुद ही मुझे प्रणाम करते कहा,‘ प्रणाम साहब के पट्ठे।' फिर एक हाथ अपनी कमर पर धरा।
‘हूं , कहो क्या हाल है? ठीक ठाक से तो हो न?' हालांकि साहब का टामी मुझे वहां रूकने देना नहीं चाहता था, शायद उसे अपनी प्रेमिका से मिलने की जल्दी थी। पर मैं चलते चलते वह रूक गया।
‘कहां यार! सारा दिन पुजारी द्वारा धमकाए जाने पर सोने के पानी वाली लोहे की चौकी में इकतरफा बैठ बैठ कर दर्द हो गई थी सो सोचा कि जरा घूम आऊं जब तक पुजारी मंदिर के द्वार खोलता है। पर तुम पत्नी के बदले इस कुत्ते के साथ घूमने निकले हो? आज की भाग दौड़ की जिंदगी में एक ये ही तो आज के लोगों के पास क्षण बचे हैं जब पति पत्नी आपस में बतिया लेते हैं। '
‘ यार भगवान रह गए न भगवान के भगवान ही। घरवाली के साथ इतने सालों तक घूमा, क्या मिला! आप क्या चाहते हो कि सुबह सुबह भी मेरी शांति भंग हो!'
‘ और ये कुत्ता क्या दे रहा है तुम्हें?? '
‘कम से कम किसी चीज की मांग तो नहीं कर रहा है। मेरे साथ देखो कितनी शान से इतरा रहा है। जब घर जाकर साहब को मेरी भक्ति की रिपोर्ट देगा तो साहब मुझे शाबाशी देंगे।' कह मैंने साहब की पुरानी पहनी शर्ट के कालर खड़े कर दिए।
‘ जो कुत्ते आदमी को अपने साथ घुमाने ले जाने का माद्दा रखते हों वे शान से इतराएगें नहीं तो क्या रोएंगे?' यार भगवान! पुजारी का गुस्सा मुझपर क्यों निकाल रहे हो? मैं डरा भी अगर कुत्ता सब समझ गया तो गया अपना सारा रौब पानी में। पर तभी याद आया कि साहब ने एक दिन बताया था कि टामी हिंदी नहीं समझता। अगर कोई जरूरत पड़े तो थोड़ी सी अंग्रेजी सीख लेना। उसे भी गर्व होगा कि साहब के सरकारी नौकर भी पढ़े लिखे हैं। नहीं तो उसके सामने चुप ही रहना। मैं नहीं चाहता कि टामी टामी से टुम्मु हो जाए। मैंने कुत्ते का मन रखने लिए यों ही कह दिया,‘ गुड,गुड! वैरी गुड!!' तो कुत्ता भगवान के साथ मुझे अंग्रेजी में बतियाते देख मुस्कुराया।
‘ये गुड़ गुड़ क्या कर रहा है यार?' भगवान पसोपेश में,‘ ये गुड़ गुड़ चर्च में जाकर करना। यहां तो हिंदी में बात कर। मैं भगवान हूं ईसा मसीह नहीं।'
‘ एक बात पूछूं भगवान?'
‘पूछो।'
‘मेरा भला चाहते हो?'
‘मैंने तो आजतक अपने हर भक्त का भला ही चाहा है चाहे उसने मुझे खोटा सिक्का ही क्यों न चढ़ाया हो।'
‘तो मुझे वरदान दो कि मैं वैसे ही अँग्रेजी बोलने लग जाऊं जैसे जन्मों का गूंगा हिंदी बोलने लग जाता है।'
‘पर तुम तो चार फेल हो।'
‘भगवान क्या नहीं कर सकते?'
‘ तो इससे क्या होगा?'
‘साहब के कुत्ते के साथ मुझे ही रख लिया जाएगा। क्योंकि उन्हें कुत्ते के साथ ऐसा सरकारी नौकर चाहिए जो उसके साथ अंग्रेजी बोल सके। फिर मेरे मजे ही मजे।'
‘हिंदी कह कर अपने साथ रहना नहीं चाहोगे?'
‘हिंदी के साथ तो हिंदी वाले हिंदी दिवस के दिन भी नहीं होते। तो देते हो वरदान कि... समझूं अब तुम भी असरहीन हो गए हो??' और भगवान को न चाहते हुए भी कहना ही पड़ा,‘तथास्तु!!'
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