‘हां बाबा!'
‘किससे? पत्नी से?'
‘नहीं।'
‘प्रेमिका से?'
‘बाबा आप भी न कमाल करते हो! मारधाड़ के इस दौर में मरने की फुर्सत नहीं और आप हो कि प्रेमिका की बात करते हो! महंगाई में एक ठो पत्नी का भार ही उठ जाए तो लाखों पाए समझो!'
‘तो पड़ोसी से परेशान हो!'
‘हां प्रभु! ऐसा परेशान हूं कि मत पूछो। कई बार तो पड़ोसी की कारगुजारियों से इतना परेशान हो जाता हूं कि सुसाइड करने को मन होता है, पर जब सामने जवान बीबी दिखती है तो वापिस लौटना पड़ता है। '
‘बस!इतनी सी बात! बाबा के पास पड़ोसी तो पड़ोसी, अगर कोई भगवान की ओर से भी परेशान हो तो उसका भी स्टांप पेपर पर लिखकर गारंटिड इलाज है।'
‘तो मेरी परेशानी का समाधान कीजिए प्रभु! पड़ोसी के आतंक के कारण मैं आदर्श कालोनी का वाशिंदा होकर नहीं बल्कि नरक का होकर जी रहा हूं।' मैं उनकेे चरणों मे यों लोट-पोट होने लगा जैसे मेरी पालतू बिल्ली दूध लेने के लिए मेरे पैरों में लोटती है।
‘भक्त, संसार में सीना चौड़ा करके जीना हो तो बुरा इंसान होने के साथ-साथ बुरा पड़ोसी होना भी बेहद जरूरी है। अगर भक्त, तू बुरा होकर अपने पड़ोसी पर हावी नहीं होएगा तो वह तुझ पर हावी हो जाएगा। पहल जो करता है जीत उसी की होती है।'
‘तो इसके लिए क्या आदेश हैं मेरे आका!'
‘बेटा! इसके लिए सबसे पहले आवश्यक है कि पड़ोसी के सुख में तो पक्का काम आ, पर उसके दुःख में भूले से काम न आ। जब-जब लगे कि पड़ोसी दुःखी है तो मुहल्ले में निःसंकोच लड्डू बांट और भगवान से दिन-रात यही दुआ कर कि जब तक तू उस पड़ोसी के पड़ोस में रहे, वह परेशान ही रहे। उसके जन्म दिन,उसकी शादी की साल गिरह पर उसे भूले से भी शुभकामना न दे। उसके परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाए तो उसका हाल-चाल कतई भी पूछने न जा। ऐसा होने पर वह तुझसे बहुत डरेगा।'सच कहूं, उस वक्त वह बाबा मुझे बाबा कम गृहस्थी अधिक लगा। रोटी के लिए इन दिनों राम जाने बंधुओ गृहस्थी किस -किस भेस में घूमते हैं।
‘और प्रभु!'
‘अपने घर का सारा कूड़ा-कचरा पूरे रौब के साथ पड़ोसी के घर के आगे फैंक। ऐसा करने पर पड़ोसी तुझसे पूरी तरह डरा रहेगा। हमेशा याद रखना कि जहां तू कूड़ा-कचरा फैंक रहा हां वह जगह पड़ोसी की ही हो। यदि तू भक्त ऐसा नहीं करेगो तो पड़ोसी यह सब करके तुझे परेशानी में डाल देगा। कूड़े को तो हर हाल में किसी के न किसी के घर के आगे पड़ना ही है। अक्सर देखा गया है कि कूड़ा पड़ोसी को डराने कर सबसे सशक्त हथियार होता है।'
‘और प्रभु!' मेरी बांछें खिलनी शुरू हुईं तो खिलती ही चली गईं। हे प्रभु! कहां थे इतने दिन!!
‘मनुष्य अनादि काल से ही लड़ाका जानवर रहा है। यही कारण है कि हजारों बार नाखून काटने के बाद भी वे पहले से पैने होकर आते हैं। इसलिए पड़ोसी की परेशानी से बचने के लिए उससे मित्रवत व्यवहार गलती से भी न करना। किसी और के प्रति गुस्सा प्रदर्शित करने की हिम्मत हो या न, पर पड़ोसी के सामने सदैव तपा हुआ लोहा बने रहना। तेरा बच्चा अगर पड़ोसी के बच्चे से खेले तो उसे पड़ोसी के बच्चे पर भारी पड़ना सिखा। भविष्य में बच्चे के लिए सुविधा रहेगी। पड़ोसी और अपने बच्चे के झगड़े में सारे काम छोड़ कर जरूर पड़। दोष चाहे तेरे बच्चे का हो ,इससे पहले कि तेरा पड़ोसी तेरे बच्चे को दोषी ठहराए तू उसके बच्चे को सीना तान कर दोषी करार दे दे। पड़ोसी से लड़ाई के मामले में हमेशा आपा खोकर रख। सदैव पत्नी की खीझ पड़ोसी पर निकाल। बड़ा चैन मिलेगा। पड़ोसी के साथ लड़ते हुए धैर्य कतई न रख। अपने को पड़ोसी के सामने पूरे रौब- दाब से सजाए रख, भले ही इसके लिए तुझे बैंक से लोन लेना पड़े। पड़ोसी को हमेशा अपने से हीन समझ।'
‘ और कुछ आदेश मेरे बाबा!'
‘ पड़ोसी की हत्या करनी है क्या?'
बंधुओ! अब पड़ोसी मुझसे बुरी तरह डरता है। अगर आप भी सगर्व पड़ोसी का सिर नीचा करवा अकड़ कर पड़ोस इंज्वाय करना चाहते हो तो․․․सच कहूं, पड़ोसी को चौबीसों घंटे सूली पर चढ़ा कर जीने में जो आनंद आता है वैसा आनंद तो स्वर्ग में भी क्या ही आता होगा!!
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